Friday, November 6, 2009

दिवा की मुस्कान

औरों को हँसते देखो तुम हँसो और सुख पाओ
अपने सुख को विस्तृत कर लो सबको सुखी बनाओ
_कामायनी,जयशंकर 'प्रसाद'

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