Wednesday, July 15, 2009

दो झगड़ालू बिल्लियाँ

दिवा दी डुमडुम ...!

आज मैं तुमको दो बिल्लियों की कहानी सुनाऊँगी जो एक रोटी के लिए आपस में झगड़ पड़ीं। यह कहानी हमारी अम्माजी हमें सुनाया करती थीं। आज मैं अपने ब्लॉग में तुम्हारे लिए लिख रही हूँ। तुमको यह कहानी तुम्हारी मम्मा तुमको पढ़ कर सुनायेंगी। तो आओ देखते हैं कि उन बिल्लियों का क्या हुआ...?
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दो झगड़ालू बिल्लियाँ ...!
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एक दिन दो बिल्लियाँ कहीं घूमने जा रही थीं। रास्ते में एक रोटी पड़ी थी। दोनों बिल्लियाँ एक साथ रोटी पर झपट पड़ीं।

पहली बिल्ली बोली ..."यह मेरी रोटी है। "
दूसरी बिल्ली गुर्रायी "रोटी मेरी है।"

दोनों बिल्लियाँ आपस में झगड़ा करने लगीं।


एक बन्दर वहीं पास में एक पेड़ पर बैठा था।
वह बहुत देर से बिल्लियों को आपस में झगड़ा करते हुए देख रहा था।
बन्दर ने बिल्लियों से पूछा..."तुम दोनों इतनी देर से क्यों झगड़ा कर रही हो ?"
पहली बिल्ली बोली... "यह रोटी मेरी है... इसकी नहीं...!"
दूसरी बिल्ली चिल्लाई ... "इस रोटी को पहले मैंने देखा... रोटी मेरी है। "

बन्दर बोला... "इसमें झगड़ा करने की क्या बात है ? लाओ... मैं रोटी के दो टुकड़े कर देता हूँ ... !
तुम दोनों एक-एक टुकड़ा ले लो।"
दोनों बिल्लियों ने बन्दर की बात मान ली।


बन्दर पेड़ से नीचे आया। उसने बिल्लियों से रोटी लिया और उसके दो हिस्से कर दिए।
दोनों बिल्लियों को उसने एक-एक टुकड़ा दे दिया।

पहली बोली... "मैं बड़ा टुकड़ा लूँगी!"
दूसरी बोली... "मैं... लूँगी...!"
बन्दर ने कहा... "अच्छा...! रुको...!! तुम दोनों लड़ाई मत करो...!!!
मैं एक तराजू लाता हूँ और रोटी को तौल कर उसके बराबर-बराबर भाग कर देता हूँ।"
बिल्लियाँ मान गयीं।

बन्दर कहीं से एक तराजू ले आया । उसने बिल्लियों से रोटी का दोनों टुकड़ा लिया और तराजू के दोनों पलड़ों पर रोटी का एक-एक टुकड़ा रख दिया।
अब जिधर रोटी का बड़ा हिस्सा था वह नीचे हो गया। बन्दर ने भार बराबर करने के लिए उसमें से एक कौर रोटी खा लिया... !
अब दूसरी ओर का पलड़ा झुक गया...!

बन्दर ने उधर के रोटी से भी एक कौर खा लिया।
इस तरह बन्दर बारी-बारी से दोनों पलड़ों पर रखी रोटी के टुकड़ों को खाता गया..!

दोनों बिल्लियाँ बन्दर का मुँह ताकती रहीं कि कब बन्दर उनको रोटी का बराबर-बराबर हिस्सा देगा ?
पर बन्दर पूरी रोटी खा गया... !
बाकी बचा एक तराजू के पलड़े पर रखा रोटी का एक छोटा-सा अन्तिम टुकड़ा !

अब दोनों बिल्लियों से न रहा गया...! वे बन्दर पर झपट पड़ीं... "बस...बस...! हमारी रोटी हमें दे दो ...!
हम ख़ुद ही आपस में बाँट लेंगे...! तुम रहने दो...!"

बन्दर बोला... "और मेरा मेहनताना ...? वो कौन देगा ?"

बन्दर रोटी का अन्तिम बचा टुकड़ा ले कर पेड़ पर चढ़ गया और बोला... "दो बिल्लियों की लड़ाई में फायदा हुआ मेरा...! अब मैं तो रोटी खाऊँ... !! रोटी खाऊँ... !!!"

"खाऊँ...! खाऊँ...!! खाऊँ....!!!''


बिल्लियाँ म्याऊँ-म्याऊँ करती रह गयीं ...! उनको रोटी का एक टुकड़ा भी नहीं मिला।

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