एक था कौवा...एक थी चिड़िया...
कौए का घर था मिट्टी का ...
चिड़िया का घर था नमक का ...
एक दिन कौए के घर नमक ख़तम हो गया।
कौवा गया चिड़िया के घर ...बोला...
"चिड़ी-चिड़ी !थोड़ा -सा नमक दे दो। "
चिड़िया बोली...
"तेरे लिए मैं अपना घर तोडूँ क्या ?
जा-जा ...न मैं लेऊँ न मैं देऊं। "
कौआ चला गया।
फिर एक दिन बहुत तेज पानी बरसा।
चिड़िया का घर था नमक का ... गल गया। कौवे का घर था मिट्टी का ...नहीं गला।
चिड़िया आयी कौवे के घर...बोली..."कौवा -कौवा अपने घर में थोड़ी-सी जगह दे दो।"
कौवा बोला ..."न तो मैं लेऊँ न तो मैं देऊं।"
चिड़िया चुप हो गयी। चिड़िया पानी में भींग रही थी।
कौवे को उस पर दया आ गयी। कौवे ने चिड़िया को अपने घर में जगह दे दी।
चिड़िया और कौवा साथ-साथ रहने लगे।
एक दिन चिड़िया ने कौवे से कहा ..."चलो दोनों मिल कर खिचड़ी बनायें।" कौवा मान गया।
कौवा लाया दाल का दाना .... चिड़िया लायी चावल का दाना ....!
दोनों ने मिल कर खिचड़ी पकायी।
चिड़िया ने कौवे से कहा ..."चलो पहले नहा आयें फिर खाना खायें।"
कौवा चला गया नहाने ...चिड़िया छुप कर बैठी रही।
चिड़िया ने अपनी खिचड़ी खा ली ...फिर कौवे की खिचड़ी भी खा ली।
खिचड़ी खा कर चिड़िया फुर्र से उड़ गयी ...!
कौवा लौट कर आया तो वहाँ न चिड़िया थी न खिचड़ी...!
तब से कौवा चिड़िया को खोज रहा है ...कहाँ ...हो...?...कहाँ...हो...?
काँ...हो...?काँ...हो...?...काँ...व...?काँ...व?...काँव...?...काँव...?
AAP KA SWAGAT HAI BADHAI.
ReplyDeletebahut maasoom
ReplyDeletebahut pyaari kavita !
सुन्दर कथा.. :)
ReplyDeleteaap ki post ne bachapan ki yad dila di.
ReplyDeletenice. narayan narayan
ReplyDeletethanks for your veluable comments...!
ReplyDeletethanks for your valuable comments...!
ReplyDeletethanks for your valuable comments...!
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