Monday, October 5, 2009

budhiman kouva -2

बुद्धिमान कौवा -2





डुमडुम !


प्यासे कौवे को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे कि पा
क्या कर रही हो? आओ देखें प्यासे कौवे का क्या हुआ ? उसे पानी मिला या नहीं...!

कौवे ने पानी का बरतन देखा और खुशी से काँव-काँव करने लगा। वह पानी के बरतन के पास आ कर बैठ गया। उसने अपनी चोंच बरतन में डाल कर पानी पीना चाहा पर यह क्या...? उसकी चोंच तो पानी तक पहुँच ही नहीं रही थी ! उसने फिर प्रयास किया...पर पानी तो बहुत नीचे था ! कौवे ने बरतन में चोंच मार कर उसे गिराने की कोशिश की ...पर बरतन बहुत भारी था ...हिला भी नहीं ! उसने चोंच मार कर बरतन को तोड़ने की कोशिश की... पर बरतन नहीं टूटा... बरतन बहुत था... उसमें खरोंच तक नहीं आयी ! कौवा उड़ कर पानी के बरतन पर बैठ गया। उसने बरतन में झुक कर पानी तक पहुँचने की कोशिश की पर उसकी चोंच पानी को छू भी नहीं सकी।

प्यासे कौवे को समझ नही आ रहा था की वो क्या करे की पानी तक उसकी चोंच पहुँच जाए और वह पानी पी कर अपनी प्यास बुझा सके...! किसी कारगर उपाय की तलाश में कौवा इधर-उधर देख रहा था तभी उसे पास ही में कुछ कंकड़ के टुकड़े दिखायी पड़े। चतुर कौवे के दिमाग में तुंरत एक उपाय आया ... ''यदि मेरी चोंच पानी तक नहीं पहुँच सकती है तो बात नहीं...पानी तो मेरी चोंच तक आ ही सकती है..!''

वह खुशी से झूम उठा।


कौवा अपनी सारी थकान भूल गया और उड़ कर कंकड़ के टुकडों के पास पहुँच गया। उसने कंकड़ का एक छोटा -सा टुकड़ा अपनी चोंच में दबाया और पानी के बरतन के पास जा कर उसमें गिरा दिया। कौवा फिर उड़ कर एक और कंकड़ लाया और उसने उस कंकड़ को भी बरतन में डाल दिया। इसी तरह वो बारबार कंकड़ के छोटे-छोटे टुकड़े अपनी चोंच से उठा -उठा कर बरतन में डालता गया। जितनी बार कौवा बरतन में कंकड़ का टुकड़ा डालता था पानी थोड़ा और ऊपर आ जाता था। अपना उपाय सफल होते देख कर कौवा बहुत खुश था। कौवा और उत्साह से कंकड़ ला-ला कर बरतन में डालने लगा।


जानती हो दिवा ! कौवे की युक्ति काम कर गयी और देखते ही देखते पानी बरतन के ऊपर तक आ गया। कौवे ने जी भर कर पानी पीया और अपनी प्यास बुझायी। पानी पीने के बाद कौवे ने गर्व से चारों ओर गर्दन घुमा कर देखा और एक विजयी की तरह काँव-काँव ... का नारा लगा कर आसमान में उड़ गया।


डुमडुम रानी...! कितना बुद्धिमान था कौवा...!! है न...!!!


बुद्धिमान कौवा...!
जो संकट की घड़ी में भी घबरया नहीं...!
जिसने अपनी समस्या का हल अपने दिमाग से ढूँढ ही लिया....!!!


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