Saturday, October 3, 2009

budhiman kouva -1



बुद्धिमान कौवा -1


दिवा !


आज मैं तुमको एक ऐसे कौवे की कहानी सुनाने जा रही हूँ जो बहुत दूर से उड़ते-उड़ते आ रहा था। वह बहुत गया था। उसे बहुत तेज प्यास लगी थी। उसने दूर-दूर तक उड़ -उड़ कर पानी की खोज की पर कहीं भी पानी की एक बूँद भी नहीं दीख रही थी। कौवा प्यास से बेहाल था। कौवे को लग रहा था कि अब वह उड़ नहीं पायेगा और प्यास के मारे मर जाएगा। उसके पंख उसका साथ नहीं दे रहे थे। उसका गला पानी के बिना सूखा जा रहा था।
प्यास से बेहाल कौवा थक कर जमीन पर बैठ गया। कहाँ पानी ढूँढे... वह समझ नहीं पा रहा था। उसके आँखों के सामने अँधेरा छाने लगा। पर कौवे ने हार नहीं मानी। वह अपनी पूरी ताकत बटोर कर फिर से उड़ा। उसने अपनी तेज आँखें इधर-उधर दौड़ायीं। कुछ दूरी पर उसे पानी से भरा एक बरतन दिखायी दिया। कौवा खुशी के मारे काँव-काँव चिल्लाने लगा। वह तेजी से बरतन के पास पानी पीने आया।
पर क्या कौवा पानी पी पाया ?उसकी प्यास बुझ पायी ? यह मैं तुमको चाय पीने के बाद बताऊँगी।
समझी दिवा !

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