लालच करना बुरी बला है... 2
दिवा दी डुमडुम !
नदी के किनारे एक गाँव था । छोटा-सा, सुंदर-सा। वहाँ सभी लोग मिल-जुल कर रहते थे। जो कुछ भी होता मिल-बाँट कर खा-पी लेते थे। अपने पालतू जानवरों- गाय, बैल ,घोड़े, कुत्ते-सभी का गाँव वाले बहुत ख़याल रखते थे। जानवरों को वे समय से दाना -पानी देते थे। उनकी साफ -सफाई का पूरा ध्यान रखते थे। बचा हुआ खाना और अन्न का दाना वो लोग चिड़ियों को डाल देते थे । चिडियाँ उनके खेत में पैदा होने वाला अनाज कभी बरबाद नहीं करती थीं। उस गाँव में रहने वाले ग्रामवासी और पशु, पक्षी सभी बहुत खुश थे। वे आपस में खूब हिल-मिल कर रहते थे।
उसी गाँव में एक कुत्ता रहता था। वह बहुत लालची था। पेट भरा होने पर भी वह हमेशा दूसरों के खाने पर नज़र गड़ाए रहता था। कभी छोटे बच्चों के हाथ से रोटी छीन कर भाग जाता तो कभी किसी के घर में घुस कर खाना चुरा कर दूर कहीं जमीन में दबा कर रख आता था। कभी-कभी तो वह दूसरे पशु-पक्षियों और अपने साथियों से भी झगड़ा करने लगता था। उनका खाना छीन लेता था। सभी जानवर,चिडियाँ और गाँव वाले कुत्ते की इस गन्दी आदत से परेशान रहते थे। सभी लोग कुत्ते को सबक सिखाना चाहते थे और मौके की तलाश में थे।
एक दिन की बात है कुत्ता किसी के घर में घुस कर एक रोटी ले कर भागा। घर के मालिक ने उसे देख लिया वह उसके पीछे दौड़ा। उसने गाँव के सभी लोगों और पशु-पक्षियों को साथ लिया और उसी ओर चल दिया जिधर कुत्ता गया था। कुत्ता तेजी से नदी पर बने पुल की ओर जा रहा था । गाँव के लोग काफी पीछे थे। अब कुत्ता पुल पर पहुँच गया था। उसने अपने मुँह में रोटी दबा रखा था। पुल के नीचे नदी बह रही थी। कुत्ते ने नदी में झाँक कर देखा और ठिठक कर रुक गया - "यह क्या...? नदी में यह दूसरा कुत्ता कौन है ? इसके पास भी रोटी है...! अभी यह रोटी मैं उससे छीन लेता हूँ। " यह सोच कर कुत्ता गुर्राया। दूसरा कुत्ता भी गुर्राया। अब कुत्ता दूसरे कुत्ते पर जैसे ही भौंका उसके मुँह में दबी रोटी नदी के पानी में जा गिरी। कुत्ता दूसरे कुत्ते से रोटी छीनने के लिए नदी में कूद गया। पर यह क्या ? वहाँ तो कोई कुत्ता था ही नहीं ! यहाँ तो पानी ही पानी है...! तो यह उसकी परछाईं थी...! वह जो रोटी लाया था वह भी पानी में चली गई...!
कुत्ता किसी तरह तैर कर नदी के किनारे आया। वह बुरी तरह पानी में भींग गया था। जैसे ही वह पानी से निकला उसने देखा पूरे गाँव के लोग और पशु-पक्षी किनारे पर खड़े उस पर हँस रहे हैं। कुत्ता अपनी करनी और बेवकूफी पर बहुत शर्मिंदा हुआ। उसने सबसे अपने ख़राब बरताव के लिए क्षमा माँगी। पूरे गाँव के लोगों ने उसे माफ कर दिया क्योंकि उसे अपनी करनी की सजा मिल गयी थी। उसने प्रण किया कि अब वह कभी लालच नहीं करेगा और सबके साथ मिल-जुल कर रहेगा। जो कुछ भी होगा सबके साथ मिल-बाँट कर खायेगा।
तबसे कुत्ता सबका प्यारा हो गया और वह घर,खेत -खलिहानों की देख-भाल करने लगा।
Tuesday, October 13, 2009
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अच्छी बोध कथा. :)
ReplyDeleteThanks for your comments.
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